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बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने दो बड़े सुधारों से जुड़े विधेयकों को मंजूरी दी। पहला बड़ा सुधार लड़कियों की शादी की उम्र से जुड़ा है। कैबिनेट ने लड़कों और लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र एक समान यानी 21 साल करने के विधेयक को मंजूरी दे दी है। यह कानून लागू हुआ तो सभी धर्मों और वर्गों में लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र बदल जाएगी।
मोदी सरकार के कार्यकाल में शादी से जुड़ा यह दूसरा बड़ा सुधार है, जो समान रूप से सभी धर्मों पर लागू होगा। इससे पहले एनआरआई मैरिज को 30 दिन में रजिस्टर कराने का कदम उठाया गया था।
10 सदस्यों की टास्कफोर्स ने देशभर के प्रबुद्ध अध्येताओं, कानूनी विशेषज्ञों नागरिक संगठनों के नेताओं से परामर्श किया वेबिनार के जरिए देश में सीधे महिला प्रतिनिधियों से बातचीत कर रिपोर्ट को दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में सरकार के सुपुर्द कर दिया गया।
टास्कफोर्स ने शादी की उम्र समान 21 साल रखने को लेकर 4 कानूनों में संशोधनों की सिफारिश की है। युवतियों की न्यूनतम उम्र में आखिरी परिवर्तन 1978 में किया गया था और इसके लिए शारदा एक्ट 1929 में परिवर्तन कर उम्र 15 से 18 की गई थी।
यूनीसेफ के अनुसार भारत में हर साल 15 लाख लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो होती है। जनगणना महापंजीयक के मुताबिक देश में 18 से 21 साल के बीच विवाह करने वाली युवतियों की संख्या करीब 16 करोड़ है।
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